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स्कंद षष्ठी व्रत आज, शुभ मुहूर्त पर करें पूजा और पाएं अद्भुत लाभ
Last Updated on December 18, 2023 by Soumitra Roy
नेशनल डेस्क। आज स्कंद षष्ठी (Skanda Sashti) 2023 व्रत है। ये व्रत प्रत्येक मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इसे गुहा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन कुछ लोग यह व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को भी करते हैं दोनों ही व्रत सही हैं। यह व्रत भगवान कार्तिकेय जी (Lord Kartikeya ji) को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, आज ही के दिन कार्तिकेय जी ने तारकासुर नामक असुर के अत्याचार को समाप्त किया था।
स्कंद षष्ठी के अवसर पर शिव-पार्वती (Shiva-Parvati) की विशेष रूप से पूजा की जाती है। साथ ही स्कंद देव कार्तिकेय की स्थापना करके उनकी भी पूजा की जाती है और अखंड दीपक जलाएं जाते हैं। विशेष कार्य की पूर्ति के लिए इस समय की गई पूजा अर्चना विशेष फलदायी होती है। मान्यता है कि ये व्रत विधिपूर्वक और सच्चे मन से किया जाए तो सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है।
स्कंद षष्ठी व्रत 2023 का शुभ मुहूर्त (Auspicious Time)
18 दिसंबर 2023, सोमवार को स्कंद षष्ठी का त्यौहार मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 17 दिसंबर 2023 को शाम 08 बजकर 41 मिनट पर इसकी शुरुआत होगी। 18 दिसंबर 2023 को शाम 06 बजकर 22 मिनट पर इसका समापन होगा।
स्कंद षष्ठी व्रत पूजा विधि (Worship Method)
स्कंद षष्ठी के दिन स्नान के बाद से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनें और भगवान कार्तिकेय की मूर्ति बनाएं। अब इस मिट्टी का पिंड बनाकर उसके ऊपर 16 बार ‘बम’ शब्द का उच्चारण करें। शास्त्रों में ‘बम’ को सुधाबीज, यानि अमृत बीज कहा जाता है। बम के उच्चारण से यह मिट्टी अमृतमय हो जाती है। अब उस मिट्टी से कुमार कार्तिकेय की मूर्ति बनानी चाहिए। मूर्ति बनाते समय मंत्र पढ़ना चाहिए- ऊँ ऐं हुं क्षुं क्लीं कुमाराय नमः। पूजा के बाद ही फलाहार करें।
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कुंडली में मंगल होगा मजबूत
भगवान कार्तिकेय को षष्ठी तिथि और मंगल ग्रह का स्वामी कहा गया है। अर्थात जिस किसी की जन्म कुंडली में मंगल अच्छी स्थिति में नहीं चल रहा हो या जिस राशि में मंगल नीच का हो, उन्हें आज स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा और उनके निमित्त व्रत रखना चाहिए। दक्षिण दिशा में भगवान कार्तिकेय का निवास बताया गया है और इनका वाहन मोर है।