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गैरकानूनी हैं ये कार-देख लेना कहीं काटने ना पड़ जाएं कोर्ट के चक्कर
दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं इसलिए बचकर चलना होगा। मसलन रोड पर चलने की बात कर रहे हैं हम। आजकल यंगस्टर कहां मानते हैं,लेकिन समझना होगा कि कार तो खरीद ली पर उसका मॉडिफिकेशन एक लिमिट तक ही करवा सकते हैं। वरना कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। क्योंकि इन दिनों कार मॉडिफिकेशन (Car Modification) सेंटर हर जगह मिल जाते हैं जहां पर आप अपनी कार को एक नया लुक और डिजाइन दे सकते हैं। कार मॉडिफिकेशन पूरी तरह से कस्टमाइज (Customized) होता है जिसमें किसी की भी पसंद का पूरा ख्याल रखकर कार के डिजाइन, इसके कलर और इसके अहम पार्ट्स में बदलाव किए जाते हैं। मॉडिफिकेशन किसी भी कार को स्टाइलिश, स्पोर्टी और अट्रैक्टिव तो बनाता है लेकिन इसकी वजह से कानूनी चक्करों में भी फंसने का खतरा बना रहता है। कुछ मॉडिफिकेशन्स ऐसे हैं जो देश में पूरी तरह से गैरकानूनी हैं और इन्हें करवाने की वजह से कोर्ट-कचहरी (Legal Troubles) के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। अगर आप अपनी कार में कोई भी मॉडिफिकेशन करवाने जा रहे हैं तो आपको ध्यान रखना होगा कि लाउड एग्जॉस्ट लगाने से हमेशा बचना है तो 100 डेसीबल से ज्यादा का हॉर्न नहीं लगवाना है। खैर अब आपको हम विस्तार से इसके बारे में जानकारी देंगे।
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याद रहे कि अगर आपने अपनी कार में लाउड साइलेंसर लगाया है, जिससे काफी आवाज होती है तो ऐसा करने से आपकी कार का चालान कट सकता है। कारों में कंपनी,फिटेड एग्जॉस्ट पाइप में कैटेलिटिक कनवर्टर होते हैं और इसलिए वे ना केवल हवा में निकलने वाले उत्सर्जन की मात्रा को नियंत्रित करते हैं बल्कि इसकी आवाज भी कम रखते हैं। ऐसे में लाउड एग्जॉस्ट लगाने से हमेशा बचना होगा। सभी वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (High Security Registration Plate)अनिवार्य है। अगर कोई कार मालिक अपनी कार में फैंसी रजिस्ट्रेशन प्लेट का इस्तेमाल करता है तो उसे चालान का सामना करना पड सकता है। इसी तरह कोई कार मालिक अपनी कार में लाउड हॉर्न का इस्तेमाल करता है तो ये गैरकानूनी है और इसके लिए चालान भरना पड़ सकता है। कारों के हॉर्न के लिए दिशा-निर्देशों का एक निर्धारित सेट निर्धारित किया गया है। सामान्य कारों या चार पहिया वाहनों के लिए 100 डेसिबल से अधिक के हॉर्न की अनुमति नहीं है। ऐसे ही कार में टिंटेड ग्लास लगाने को लेकर कुछ नियम हैं। कार में लगाए जाने वाले इस ग्लास की विजिबिलिटी 50 फीसद होने ही चाहिए और अगर विजिबिलिटी इससे भी कम है तो आपको चालान भुगतना पड़ सकता है। साथ ही कानूनी चक्करों में भी फंस सकते हैं। 1988 के केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम के नियम 100 के अनुसार देश में सभी कारों की विंडस्क्रीन और पिछली खिड़कियों के शीशे की (Minimum Visibility) न्यूनतम दृश्यता 70% होनी चाहिए। कारों की साइड.खिड़कियों के शीशे के लिए न्यूनतम 50% दृश्यता अनिवार्य है। इसलिए कार में कोई भी मॉडिफिकेशन करने से पहले उपरोक्त बातों को ध्यान में रखना होगा।