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27 साल बाद भी नहीं पता चला तिब्बतियों के दूसरे नंबर के धर्मगुरु पंचेन लामा का
Last Updated on May 17, 2022 by Vishal Rana
11 वें पंचेन लामा (11th Panchen Lama) गेधुन चोयकी नीमा की गुमशुदगी के आज 27 साल पूरे हो चुके हैं। विश्वभर में फैले तिब्बती (Tibetan) एक बार फिर से मायूस हैं कि दलाई लामा के बाद दूसरे नंबर के धर्मगुरु 11 वें पंचेन लामा का पिछले 27 साल से कोई अता-पता नहीं है। संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय संसद, तिब्बत के फ्रांसीसी संसदीय मित्र और कई अन्य देशों सहित कई देशों, संसदों और संगठनों ने पंचेन लामा के लापता होने के तुरंत बाद अपनी चिंता व्यक्त की। गुमशुदगी के बाद से, संयुक्त राष्ट्र ने बार-बार चीन से पंचेन लामा के ठिकाने और भलाई के बारे में विश्वसनीय स्पष्टीकरण देने का आग्रह किया है, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली है।
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पंचेन लामा को भी बुद्ध का ही माना जाता है अवतार
तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा (Dalai Lama) की ही तरह पंचेन लामा को भी बुद्ध के ही एक रूप का अवतार माना जाता है। पंचेन लामा को अमिताभ का अवतार माना जाता है जो बुद्ध के असीम प्रकाश वाले दैवीय स्वरूप हैं। जबकि दलाई लामा उनके अवलोकितेश्वर स्वरूप के अवतार माने जाते हैं। अवलोकितेश्वर को करुणा का बुद्ध माना जाता है। पारंपरिक रूप से एक रूप दूसरे स्वरूप का गुरु है और दूसरे के अवतार की पहचान में महत्वपूर्ण भूमिका मिलती है। पंचेन लामा की उम्र और दलाई लामा की उम्र में पचास से अधिक वर्ष का अंतर है, ऐसे में जब दलाई लामा के अवतार की खोज होगी तो ये काम पंचेन लामा ही करेंगे ऐसा भी कहा जाता है। लेकिन पंचेन लामा स्वयं कहां हैं इसका ही पता नहीं है।
कौन हैं पंचेन लामा
14 मई 1995 को तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा ने गेधुन चोयकी नीमा (Gedhun Choekyi Nyima) को 11वें पंचेन लामा के रूप में मान्यता दी थी। इसके तीन दिन के बाद ही 17 मई 1995 से छह वर्षीय गेधुन व उनके परिजन रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हैं। 28 मई 1996 तक तो यह भी पता नहीं चल सका कि गेधुन व उसके परिजनों का किसने अपहरण किया,लेकिन जब इस मामले को संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के अधिकारों के लिए गठित कमेटी ने उठाया तो पता चला कि चीन ने उसे बंदी बनाया हुआ है। चीन का मानना है कि दलाई लामा द्वारा घोषित पंचेन लामा को लेकर बौद्ध संप्रदाय के लोगों में भारी रोष पनप रहा था इसी के चलते उन्हें सेना को भेजना पडा। इसके बाद से पंचेन लामा व उनके परिजनों के बारे में ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई कि वह कहां हैं। इसी बीच 29 नवंबर 1995 को चीन ने ग्यालसन नोरबू को पंचेन लामा घोषित कर दिया।