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असम के इस गांव में आकर आखिर क्यों करते हैं पक्षी सुसाइड, पढ़े क्या है रहस्य
Last Updated on July 15, 2022 by sintu kumar
किसी ने सच ही कहा है ये दुनिया रंग-रंगीली। इस धरती का कोना-कोना अपनी अलग विशेषताएं लिए हुए हैं। धरती पर कहीं ऊंची चोटियां है तो कहीं दूर-दूर तक फैले मैदान। कहीं पर हरे- भरे जंगल है तो कहीं तपता रेगिस्तान। इन सबसे अलग हटकर कुछ जगहें ऐसी भी हैं जो बेहद डरावनी है और अपने आप में बहुत रहस्य लिए हुए हैं। कुछ रहस्य तो आज तक नहीं सुलझ पाए हैं। आज हम आपको भारत की एक ऐसी जगह के बारे में बताने बताने जा रहे हैं, जहां पर पक्षी आत्महत्या करते हैं।
दक्षिणी असम का जिला है दिमा हासो
वैसे तो प्राकृतिक सुंदरता में भारत के पूर्वोत्तर में स्थित राज्यों का जवाब नहीं पर यहां पर बहुत सारी जगहें हैं, जो अपने आप में रहस्य दबाए हुए हैं। यहां पर दक्षिणी असम( South Assam) का एक जिला है दिमा हासो। इस जिले की पहाड़ी घाटी में स्थित जतिंगा नाम से एक ऐसा गांव है, जो अपनी भौगोलिक स्थिति के चलते साल में करीब 9 महीने तक बाहरी दुनिया से अलग रहता है। लेकिन सितंबर माह की शुरुआत से ही यह गांव खबरों में छा जाता है. दरअसल, यहां आकर पक्षी सुसाइड( Suicide) यानी आत्महत्या कर लेते हैं। सितंबर के बाद इस घाटी के आस-पास एक तय समय के बाद नाइट कर्फ्यू जैसे हालात हो जाते हैं. दरअसल, अक्टूबर से नवंबर तक जतिंगा गांव में कृष्णपक्ष की रातों में ‘पक्षी-हराकिरी’ का बेहद अजीबोगरीब वाक्या होता है। शाम 7 बजे से लेकर रात के दस-साढ़े दस बजे के बीच अगर आसमान में धुंध छा जाए। हवा की रफ्तार तेज हो जाए और कहीं से कोई रोशनी कर दें तो चिड़ियों की हालत खराब हो जाती है। उनके झुंड कीट-पतंगों की तरह बदहवास होकर रोशनी के स्त्रोत पर गिरने लग जाते हैं।
यहां पर जो पक्षी आत्महत्या करते हैं उनमें स्थानीय और प्रवासी चिड़ियों की 40 प्रजातियां शामिल हैं। कहते हैं इस जगह पर अगर बाहरी अप्रवासी पक्षी आ जाते हैं तो वे वापस नहीं लौट पाते। इतना ही नहीं इस वैली में रात में एंट्री पर प्रतिबंध भी लगा हुआ है। दरअसर जतिंगा गांव पर काफी बारिश होती है और बोरैल हिल्स की ऊंचाई पर स्थित होने व पहाड़ों से घिरे होने के कारण यहां बादल और बेहद गहरी धुंध का छाना आम बात है। वैज्ञानिकों की मानें तो तेज बारिश के दौरान पक्षी पूरी तरह से गीले हो चुके होते हैं। ऐसे में जब वे उड़ने की कोशिश करते हैं तो प्राकृतिक रूप से उनके उड़ने की क्षमता खत्म हो चुकी होती है।
यहां बांस के बेहद घने और कटीले जंगल भी हैं, जिनकी वजह से गहरी धुंध और अंधेरी रातों के दौरान पक्षी इनसे टकराकर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। कई वैज्ञानिकों का कहना है कि पशु-पक्षी सुसाइड नहीं करते हैं। वे ज्यादातर झुंड में होते हैं और उसकी वजह से एक साथ ही किसी भी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। अभी तक खूबसूरत घाटी में पक्षियों के सुसाइड के रहस्य को कोई सुलझा नहीं पाया है।