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तिब्बती बौद्ध धर्म के निंगमा स्कूल के प्रमुख तकलुंग चेतुल रिनपोछे का हुआ चौथा पुनर्वतार
Last Updated on November 28, 2022 by Vishal Rana
लाहुल। हिमाचल प्रदेश के लाहुल-स्पीति (Lahaul-Spiti) में स्पीति घाटी के ताबो क्षेत्र के रंगरिक गांव के साढ़े चार साल के छोटे लड़के की पहचान तिब्बती बौद्ध धर्म (Tibetan Buddhism) के निंगमा स्कूल के प्रमुख तकलुंग चेतुल रिनपोछे के चतुर्थ पुनरअवतार के रूप में की गई है। दोरजीडक मठ शिमला में तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं और हिमाचल प्रदेश के हिमालयी क्षेत्र के अन्य बौद्ध शिष्यों ने बालक भिक्षु का स्वागत किया। इस दौरान बालक के बौद्ध धर्म के अनुसार बाल काटे गए और वस्त्र धारण करवाए गए। लाहुल-स्पीति के ताबो में सेरकोंग पब्लिक स्कूल की नर्सरी कक्षा का नन्हा लड़का नवांग ताशी राप्टेन औपचारिक रूप से गुरु बन गया है। यह छात्र शिमला (Shimla) के पंथाघाटी में दोरजीडक मठ में अपनी धार्मिक शिक्षा (Religious Education) शुरू करेगा। बौद्ध गुरुओं ने बालक के घर जाकर इसकी पहचान करने के बाद आज शिमला में विधिवत बालक का नाम बदलकर तकलुंग चेतुल रिनपोछे रख दिया है, जो दोरजीडक मठ के अनुयायियों का आगामी गुरु होगा।
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बालक के दादा छेतन अंगचूक ने बताया कि यह लाहुल स्पीति किन्नौर के साथ साथ देश और दुनिया के बौद्ध अनुयायियों के लिए हर्ष का विषय है। उनके घर में तकलुंग चेतुल रिनपोछे के पुनर्वतार से काफी खुश हैं। वहीं बौद्ध धर्म के अनुयायी तकलुंग चेतुल रिनपोछे (Taklung Chetul Rinpoche) के पुनर्वतार से काफी खुश हैं। पिछले सात साल से लोग इसका इंतजार कर रहे थे, जो आज विधिवत रुप से दोरजीडक मठ में संपन्न हो गया है। लोग उनका आशीर्वाद लेने के लिए नेपाल, भूटान, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से आज शिमला पहुंचे है। नवांग ताशी का जन्म 16 अप्रैल, 2018 को रंगरिक गांव लाहूल स्पीति में हुआ है, लेकिन अब आगामी शिक्षा शिमला के दोरजीडक मठ पंथाघाटी में होगी क्योंकि बालक की पहचान उच्च बौद्ध भिक्षुओं द्वारा तकलुंग चेतुल रिनपोछे के चौथे अवतार के रुप में हुई है।