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श्री ज्वालामुखी टेंपल ट्रस्ट पर 1 लाख रुपए का जुर्माना, हाईकोर्ट ने इस वजह से सुनाया फैसला
Himachal High Court : प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने टेंडर हासिल करने के बावजूद रुकावट रहित कैफेटेरिया और पार्किंग स्थल न सौंपने पर श्री ज्वालामुखी टेंपल ट्रस्ट (Jwalamukhi Temple Trust) पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने प्रार्थी रजत ठाकुर की याचिका को स्वीकार करते हुए टेंपल ट्रस्ट को प्रार्थी द्वारा जमा की गई 29 लाख रुपए की अग्रिम राशि 6 फ़ीसदी ब्याज सहित लौटाने के आदेश भी दिए।
प्रतिवादियों का आचरण मनमाना
मामले का निपटारा करते हुए कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादियों का आचरण न केवल मनमाना है, बल्कि दुर्भावना से भी ग्रसित है। टेंपल ट्रस्ट के अधिकारी सार्वजनिक अधिकारी हैं, इसलिए उनसे याचिका का बेतुका बचाव करने की उम्मीद नहीं की जा सकती और न ही उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जा सकती है। प्रतिवादियों ने याचिकाकर्ता को अपना व्यवसाय चलाने के अवसर से गलत और अवैध रूप से वंचित किया है। मामले के अनुसार टेंपल ट्रस्ट ने ई-प्रोक्योरमेंट नोटिस के माध्यम से एसडीएम कार्यालय, ज्वालामुखी मंदिर, जिला कांगड़ा से सटे कैफेटेरिया इनडोर और आउटडोर, रसोई, शौचालय, स्टोर, कॉमन एरिया और 222 वाहनों की इनडोर पार्किंग को पट्टे पर देने के लिए बोलियाँ आमंत्रित कीं।
25 लाख भी दिए लेकिन नहीं किया औपचारिक एग्रीमेंट
याचिकाकर्ता ने निविदा प्रक्रिया में भाग लिया और उसे एच-1 घोषित किया गया। याचिकाकर्ता को 21 दिसम्बर 2021 को अवार्ड पत्र जारी किया गया था। इसके तहत उसे 15 दिनों के भीतर एग्रीमेंट करने के अलावा एक सप्ताह के भीतर सिक्योरिटी के रूप में 25 लाख रुपये की राशि जमा करने की आवश्यकता थी। याचिकाकर्ता को दी गई दो साल की लीज अवधि समझौते पर हस्ताक्षर करने की तारीख से शुरू होनी थी। याचिकाकर्ता ने निर्धारित समय के भीतर 25 लाख रुपये की राशि जमा की। हालांकि, औपचारिक एग्रीमेंट नहीं किया गया। 28 मई 2022 और 23 जुलाई, 2022 को जारी किए गए आदेशों के माध्यम से याचिकाकर्ता को दिए गए कार्य को रद्द करने से व्यथित होकर, याचिकाकर्ता ने याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
औपचारिक एग्रीमेंट करने में विफल रहा ट्रस्ट
याचिकाकर्ता का आरोप था कि औपचारिक एग्रीमेंट टेंपल ट्रस्ट के साथ इसलिए नहीं किया जा सका क्योंकि प्रतिवादी बाधा मुक्त साइट तथा पानी और बिजली कनेक्शन प्रदान करने में विफल रहे। जबकि प्रतिवादियों का कहना था कि याचिकाकर्ता को बार-बार याद दिलाने के बावजूद वह औपचारिक एग्रीमेंट करने में विफल रहा। इसलिए प्रतिवादियों को संबंधित कार्य के अवार्ड को रद्द करने और याचिकाकर्ता द्वारा जमा की गई 4 लाख रुपये की ईएमडी और 25 लाख रुपये की सिक्योरिटी राशि जब्त करने का अधिकार था। याचिकाकर्ता का कहना था कि वह प्रतिवादीयों से बार बार अनुरोध कर रहा था कि वे साइट से रुकावटों को हटा दें और उसमें बिजली और पानी के कनेक्शन भी प्रदान करें ताकि वह एक औपचारिक एग्रीमेंट कर सके और काम शुरू कर सके।
साइट का खाली और उपयोग योग्य होना आवश्यक
प्रतिवादियों का कहना था कि निविदा दस्तावेज की शर्त के अनुसार साइट को “जैसा है जहां है” के आधार पर पट्टे पर देने की पेशकश की गई थी।याचिकाकर्ता ने कभी भी मंदिर अधिकारियों से साइट को साफ करने या पानी और बिजली कनेक्शन प्रदान करने का अनुरोध नहीं किया। कोर्ट का मानना था कि कैफेटेरिया और पार्किंग चलाने के उद्देश्य से इसे खाली और उपयोग के योग्य होना आवश्यक था। याचिकाकर्ता से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह पट्टे पर दिए जाने वाले प्रस्तावित परिसर के अंदर भारी मात्रा में कबाड़ के साथ कैफेटेरिया या पार्किंग शुरू करे।