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रावण का वध करने के बाद प्रभु श्रीराम ने यहां की थी शिवलिंग की पूजा
हिंदुस्तान (Hindostan) में एक ऐसा स्थान भी है जिसे मंदिरों का राज्य कहा जाता है। जी हां देश का सबसे दक्षिणतम राज्य तमिलनाडु (Tamil Nadu) हिंदुस्तान में मंदिरों का राज्य कहलाता है। यहां की खासियत यह है कि यहां एक ओर समुद्री तट है वहीं दूसरी ओर हिल स्टेशन हैं। इसके अतिरिक्त यहां हजारों भव्य मंदिर (Grand temple) बने हैं जो इस राज्य की शोभा को बढ़ाते हैं। यहां मंदिरों के दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में भक्त आते हैं। यहां देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी भक्त शीश नवाने के लिए आते हैं। यहां पर्यटन भी अपने चरम पर है। इसी के साथ यह राज्य आस्था का केंद्र भी है। इस राज्य तमिलनाडु में 40 हजार (40 thousand) से भी अधिक मंदिर हैं। तो आइए आज आपको बताते हैं कि यहां कौन-कौन से प्रसिद्ध मंदिर हैं।
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यहां रामेश्वरम द्वीप में स्थित रामनाथ स्वामी मंदिर बहुत ही भव्य है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम (Lord Shri Ram) ने रावण का वध करने के बाद भगवान शिव से क्षमा मांगने के लिए यहीं पर शिवलिंग की पूजा की थी। इसके अतिरिक्त यहां मीनाक्षी मंदिर भी है। यह मंदिर मदुरै में है और यह माता पार्वती के मीनाक्षी रूप को समर्पित है। इस मंदिर में कई मूर्तियां स्थापित हैं। विश्व भर में यहां का मीनाक्षी तिरु कल्याणम महोत्सव (Meenakshi Thirukalyanam Festival प्रसिद्ध है। इस अवसर पर लाखों की संख्या में भक्त शीश नवाने पहुंचते हैं। इसी के साथ यहां का श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है। यह मंदिर तिरुचिरापल्ली में है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर 21 शानदार मीनारें भी हैं। यहां एशिया का सबसे ऊंचा गोपुरम भी है। यह मंदिर दिव्य देशम (Mandir Divyadesam) के 108 मंदिरों में से सबसे पहला और प्रमुख मंदिर है। इस मंदिर को धरती का बैकुंठ कहा जाता है। इसी प्रकार यहां बृहदेश्वर मंदिर भी है। यह तंजावुर में स्थित है।यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव के त्रिनेत्र शिवलिंग और नंदी भगवान की विशाल मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।
इसी प्रकार यहां का नागनाथ स्वामी मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान नागनाथ स्वामी को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान राहू की मूर्ति स्थापित है। यहां ग्रह-दोषों से मुक्ति मिलती है। यहां के पुजारियों के अनुसार श्रद्धालु जैसे ही भगवान राहु को दूध से स्नान कराते हैंए वैसे ही दूध का रंग नीला हो जाता है। वहीं यहां का कुमारी अम्मन मंदिर (Kumari Amman Temple) भी आस्था का प्रतीक है। यह मंदिर देवी कन्या को समर्पित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने शिवजी को पाने के लिए देवी कन्या के रूप में इसी मंदिर में तपस्या की थी। बाद में भगवान परशुराम ने इस मंदिर में देवी कन्या की नीले पत्थरों की मूर्ति को स्थापित किया था। इसके अतिरिक्त यहां कपालेश्वर मंदिर भी स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस मंदिर की नक्काशी और गोपुरम पत्थर के खंभे और प्रवेश द्वार पर्यटकों को अचंभित करते हैं। इस मंदिर की वास्तुकला देखते ही बनती है। वहीं यहां श्रीपुरम स्वर्ण मंदिर भी स्थापित है।वेल्लोर में स्थित यह मंदिर देवी लक्ष्मी और भगवान नारायण को समर्पित है। मालाकोडी की पहाड़ियां मंदिर को सुंदरता प्रदान करती है। यह मंदिर पूर्णतः शुद्ध सोने से बना हुआ है।