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हिमाचल: अब इन दो नई साइट्स पर उड़ेंगे मानव परिंदे, टेक्निकल कमेटी से मिली मंजूरी
हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला के सुजानपुर के चौगान मैदान और ऊना जिला के रायपुर मैदान में जल्द ही मानव परिंदे उड़ान भरेंगे। टेक्निकल कमेटी की तरफ से इन दोनों साइट पर पैराग्लाइडिंग के लिए मंजूरी मिल गई है। जिला प्रशासन हमीरपुर और जिला पर्यटन विभाग के प्रयासों से आखिरकार अब जल्द ही इन दोनों ही साइट पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पैराग्लाइडिंग गतिविधियां कमर्शियल स्तर पर नजर आएंगी।
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गौरतलब है कि साहसिक खेलों की इन गतिविधियों को बढ़ावा मिलने के बाद ऐतिहासिक नगरी सुजानपुर में रियासत कालीन किले का भी जीर्णोद्धार संभव हो पाएगा। इस किले से ही सुजानपुर के चौगान मैदान के लिए मानव परिंदे उड़ान भरेंगे। जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग के संयुक्त प्रयासों से सुजानपुर में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की मदद से इस कार्य को किया जाएगा। रियासत कालीन सुजानपुर किला पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है ऐसे में उनके मदद और मार्गदर्शन में ही इसका जीर्णोद्धार भी किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के प्रयासों से हमीरपुर क्षेत्र में इस कार्य को किया जा रहा है।
सहायक जिला पर्यटन विकास अधिकारी रवि धीमान ने बताया कि इन दोनों ही साइट पर पैराग्लाइडिंग से जुड़ी हुई मूलभूत सुविधाएं जुटा ली गई है। सरकार की तरफ से इसके लिए एक टेक्निकल कमेटी गठित की गई थी। माउंटेनियरिंग संस्थान मनाली के डायरेक्टर को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। उन्होंने बताया कि इस कमेटी ने दो बार साइट का विजिट कर इसे मंजूरी प्रदान कर दी है। अब प्रदेश सरकार को एक बार फिर यह प्रपोजल टेक्निकल कमेटी की रिपोर्ट के साथ भेज दी गई है। उम्मीद है कि जल्द ही मंजूरी मिलेगी और इन दोनों ही साइट पर कमर्शियल स्तर पर पैराग्लाइडिंग की गतिविधियां शुरू होंगी और यहां पर पर्यटन गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। धीमान ने कहा कि सरकार की तरफ से इसके लिए बजट का प्रावधान भी जल्द कर दिया जाएगा। नई मंजिलें नई राहें योजना के तहत इस कार्य को किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि हिमाचल में जो क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने की क्षमता रखते हैं, लेकिन अभी तक विकसित नहीं किए गए हैं उनको प्राथमिकता के आधार पर पर्यटन गतिविधियों से जोड़ा जाए।
डीसी हमीरपुर देव श्वेता बनिक ने कहा कि सुजानपुर का किला ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है और यहां पर किसी भी कार्य को करने से पहले आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के मंजूरी भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एएसआई के जो प्रतिनिधि हैं उनके साथ मिलकर पिछले कुछ महीनों से इस विषय पर चर्चा की जा रही है। जल्द ही मंजूरी के बाद यहां पर इस साइट को विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यहां पर रेस्टोरेशन का कार्य एएसआई की मंजूरी और सहयोग के साथही किया जाएगा।
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