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करुणामूलक आधार पर नौकरी के बारे में हिमाचल हाई कोर्ट से आया बड़ा फैसला, जानें यहां
Last Updated on December 18, 2021 by saroj patrwal
शिमला। हिमाचल उच्च न्यायालय (Himachal High Court) ने एक मामले में यह व्यवस्था दी कि करुणामूलक आधार पर नौकरी (Job) उस पॉलिसी के आधार पर दी जाएगी जो प्रार्थी के पिता (Father) की मृत्यु के दौरान लागू थी। कीथ एंड किन पॉलिसी (Keith and Kin Policy) के मुताबिक करुणामूलक आधार पर नौकरी दिए जाने से जुड़े मामले में न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने उपरोक्त फैसला सुनाते हुए पथ परिवहन निगम (Road Transport Corporation) को यह आदेश जारी किए कि प्रार्थी को 10 अप्रैल, 2007 से सभी वितीय व अन्य लाभों सहित नियमित किया जाए। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार पथ परिवहन निगम में कार्यरत प्रार्थी के पिता की मृत्यु (Death) 25 अक्तूबर, 2000 को हो गई थी, लेकिन प्रार्थी के नाबालिग होने के कारण वह तुरंत नौकरी के लिए आवेदन (Apply) न कर सका। हालांकि प्रार्थी के बालिग होने के तुरंत बाद उसने निगम को उसे नौकरी देने बाबत आवेदन दिया। मगर पथ परिवहन निगम ने प्रार्थी को नियमित सेवा के आधार पर नौकरी देने के बजाय अनुबंध आधार पर नौकरी पर रख लिया।
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उपरोक्त याचिका से पहले प्रार्थी ने हाई कोर्ट के समक्ष सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित फैसले के मुताबिक उसे अनुबंध के आधार पर दी गई सेवा की तारीख से नियमित किए जाने बाबत केस दायर किया था। हाई कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय (Spureme Court) के फैसले के आधार पर प्रार्थी के मामले पर विचार करने के आदेश जारी किए थे, लेकिन निगम ने प्रार्थी के मामले को इस आधार पर रद्द कर दिया था कि प्रार्थी का मामला 5 फरवरी, 2007 को उसे नौकरी देने बाबत प्राप्त हुआ था और भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में किए गए संशोधन के अनुसार उसे केवल अनुबंध (Contract) आधार पर ही रखा जा सकता था। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि 25 अक्तूबर, 2000 को जब प्रार्थी के पिता की मौत हुई थीए उस समय अनुबंध के आधार पर नौकरी दिए जाने का प्रावधान नहीं था। इसके अलावा निगम द्वारा तय तारीख से पूर्व ही वह बालिग हो चुका था।
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