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मनरेगा मजदूरों के लाभ पर लगी रोक हटाओ, वरना होंगे ताबड़तोड़ प्रदर्शन: सीटू
Last Updated on September 25, 2022 by sintu kumar
शिमला। हिमाचल प्रदेश राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड (Himachal Pradesh State Workers Welfare Board) ने पंजीकृत मनरेगा मजदूरों को मिलने वाले लाभ स्वीकृत करने पर अघोषित तौर पर रोक लगा दी है। इसका सीटू से सबंधित मनरेगा व निर्माण मजदूर फेडरेशन ने कड़ा विरोध किया है। फेडरेशन के राज्य अध्यक्ष जोगिंदर कुमार और महासचिव भूपेंद्र सिंह ने कहा कि हिमाचल सरकार और कल्याण बोर्ड का प्रबंधन (Himachal Government and Management of Welfare Board) मनरेगा मजदूरों के खिलाफ काम कर रहा है।
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ये दोनों निरंतर निर्माण व मनरेगा मजदूरों के खिलाफ फैसले ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में यूपीए-2 की सरकार ने मनरेगा में एक साल में 50 दिन काम करने वाले मनरेगा मजदूरों को राज्य श्रमिक कल्याण बोर्डों में सदस्य बनने का अधिकार दिया था, लेकिन 2017 में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार ने पंजीकरण के लिए दिनों की शर्त 50 से बढ़ाकर 90 दिन कर दी थी। अब मनरेगा मजदूरों को बोर्ड का सदस्य बनने पर ही रोक लगा दी है। इससे हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के चार लाख मजदूर सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। इसमें सबसे अधिक प्रभाव सीएम के गृह जिला मंडी (Mandi) में पड़ेगा, जहां पर अभी तक 80 हजार मजदूर बोर्ड से पंजीकृत हुए हैं। इनमें से 52 हजार मनरेगा मजदूर हैं। राज्य अध्यक्ष और बोर्ड के सदस्य जोगिंदर कुमार ने बताया कि 20 सितंबर को मंडी में श्रम व रोजगार मंत्री विक्रम सिंह की अध्यक्षता में बोर्ड की मीटिंग हुई है।
मीटिंग में हुए फैसले के विरोध में किया जा रहा काम हमें मंजूर नहीं
इसमें इस मुद्दे को भी एजेंडा (Agenda) में रखा गया था परन्तु मंत्री ने उसे पेंडिंग रखने को कहा था। बावजूद इसके बोर्ड के सचिव व मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनरेगा मजदूरों के लाभ जारी नहीं कर रहे हैं और न ही केंद्र सरकार की अधिसूचना की प्रति बोर्ड के सदस्यों को उपलब्ध करवा रहे हैं। वे अपनी मनमर्जी के आधार पर कार्य कर रहे हैं जबकि बोर्ड संबंधी सभी निर्णय बोर्ड की मीटिंग में ही लेने होते हैं। हाल ही में हुई कल्याण बोर्ड की मीटिंग दस घंटे की अल्प अवधि के नोटिस पर बुलाई गई, जिसमें चार में से एक ही मजदूर यूनियन सीटू के प्रतिनिधि बैठक में शामिल हुए। बैठक में किसी भी मजदूर के लाभ न रोकने का फैसला हुआ था लेकिन बोर्ड के सचिव अपनी मनमर्जी से ही लाभ की फाइलें स्वीकृत नहीं कर रहे हैं। फे सीटू के राज्य अध्यक्ष विजेंदर मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम (Prem Gotam) ने कहा कि इस बारे यूनियन का प्रतिनिधिमंडल हिमाचल प्रदेश के श्रम मंत्री से जल्दी ही मिलेगा और उसके बाद भी अगर प्रदेश सरकार अपना फैसला नहीं बदलती है तो जिला व ब्लॉक स्तर पर प्रदर्शन शुरू किए जाएंगे। इसकी आंदोलन की रूपरेखा व योजना 1-2 अक्टूबर को मंडी में हो रहे सीटू राज्य सम्मेलन में तैयार की जाएगी।
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