-
Advertisement
मिड-डे मील वर्करों का प्रदर्शन- इतने कम वेतन में गुजारा करना संभव नहीं
Last Updated on July 20, 2021 by Sintu Kumar
शिमला/ मंडी।अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर मिड डे मील वर्कर सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे। शिमला स्थित शिक्षा निदेशालय के बाहर मिड डे मील वर्कर ने सीटू के बैनर तले धरना प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। मिड डे मील वर्कर पिछले लंबे समय से अपने लिए नीति बनाकर नियमित करने की मांग उठा रहे है। इतना ही नही मिड डे मील वर्कर के लिए 15 हज़ार के वेतन की मांग की जाती रही है। मिड डे मील वर्कर हिमी देवी ने बताया कि वह बीते 18 वर्षों से महज 33 रुपए दिहाड़ी पर अपनी सेवाएं दे रही हैं जबकि महंगाई आसमान छू रही है। इस दौर में इतने कम वेतन में गुजारा कर पाना संभव नहीं है। मिड डे मील वर्कर को 12 माह में से सिर्फ 10 महीने का ही वेतन दिया जाता है। देश भर में 25 लाख मिड डे मील वर्कर 12 करोड़ बच्चों को खाना बनाने का काम कर रही। लेकिन सरकार उनका शोषण कर रही है। उनकी मांगे न माने तक आंदोलन जारी रहेगा।
यह भी पढ़ें: पंजाब में छठे वेतन आयोग की अधिसूचना के बाद हिमाचल में भी बढ़ी हलचल, कमेटी गठित
मंडी जिला मुख्यालय पर मिड डे मील वर्करों ने धरना-प्रदर्शन किया। शहर के सेरी चानणी में सीटू के बैनर तले आयोजित प्रदर्शन में मंडी की मिड डे मील वर्कर महिलाओं ने खूब नारे लगाकर अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया। इसके बाद मिड डे मील वर्करों ने एक मांग पत्र उपनिदेशक शिक्षा विभाग मंडी के माध्यम से सीएम को भी भेजा। अपने मांग पत्र में मिड-डे मील वर्करों के 9 हजार रुपये प्रति माह देने, हर स्कूल में दो मिडडे मील वर्करों की तैनाती करने, 10 के बजाए 12 महीनों का वेतन देने, बच्चों की संख्या के अनुरूप छंटनी ना करने और स्कूलों में मल्टीटास्किंग वर्करों के पदों पर मिडडेमील वर्करों को अधिमान देने की मांगों को प्रमुखता से उठाया है। इस अवसर पर सीटू के जिला प्रधान भूपेंद्र सिंह ने प्रदेश सरकार पर मिड-डे मील वर्करों का शोषण लड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार इन्हें अपने द्वारा तय की गई न्यूनतम 300 रुपये दिहाड़ी भी नहीं दे पा रही है।
हिमाचल और देश-दुनिया की ताजा अपडेट के लिए Subscribe करें हिमाचल अभी अभी का Telegram Channel…