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हिमाचल हाईकोर्ट ने पुलिस थाने-चौकियों में CCTV लगाने के मामले पर इन्हें जारी किया नोटिस
Last Updated on March 7, 2023 by sintu kumar
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court ) ने प्रत्येक पुलिस थाना (Police Stations) और चौकियों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के मुद्दे पर प्रदेश मुख्य सचिवए प्रधान सचिव ;गृहद्धए राज्य स्तरीय निरीक्षण समितिए जिला स्तरीय निरीक्षण समिति और पुलिस अधीक्षकए शिमला को नोटिस जारी किया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार हर पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी (CCTV) की स्थापना सुनिश्चित करने के अपने कर्तव्य को निभाने में विफल रही है। याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि परमवीर सिंह सैनी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को हर थाने में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया है, लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार (Himachal Govt) निर्देशों को लागू करने में विफल रही है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को प्रदेश सरकार लागू करने में रही विफल
इस संबंध में याचिकाकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता रजनीश मानिकटाला ने अदालत के समक्ष दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस स्टेशनों और कार्यालयों में हिरासत में होने वाली मौतों की बढ़ती दर और मानवाधिकारों के उल्लंघन के कारण ये निर्देश दिए है। प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय निगरानी समिति और मंडल आयुक्त की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय निगरानी समिति का कर्तव्य हर पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी स्थापित करना है और उनका रखरखाव करना भी है।
हाईकोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर अधिकारियों से मांगा जवाब
तर्क दिया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के निर्देश के अनुसार प्रत्येक पुलिस स्टेशन में सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं, पुलिस स्टेशन के मुख्य द्वार, सभी लॉक-अप, सभी गलियारों, लॉबी / रिसेप्शन एरिया में कैमरे लगाए जाने जरूरी हैं। सभी बरामदे/आउटहाउस, इंस्पेक्टर का कमरा, सब इंस्पेक्टर का कमरा, लॉक-अप रूम के बाहर का क्षेत्र, स्टेशन हॉल, पुलिस स्टेशन परिसर के सामने, वॉशरूम/शौचालय के बाहर, ड्यूटी ऑफिसर का कमरा और पुलिस स्टेशन के पीछे का हिस्सा भी सीसीटीवी की निगरानी में आने है। अदालत ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए उपरोक्त सभी अधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर अपना अलग-अलग जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले पर सुनवाई 21 मार्च को होगी।