-
Advertisement
हिमाचल हाईकोर्ट ने किया इंक्वायरी ऑफिसर को सस्पेंड, सरकार पर भी की तल्ख टिप्पणी
Last Updated on August 19, 2021 by Sintu Kumar
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal high court) ने वन विभाग के अधिकारी को सस्पेंड (Suspend) कर दिया है। कोर्ट ने वन रेंज कोटि में 416 पेड़ों की अवैध कटान से जुड़े मामले में कार्रवाई की। हाईकोर्ट ने ढीली विभागीय कार्रवाई को गंभीरता लिया। और इंक्वायरी ऑफिसर पवन कुमार चौहान एचपीएफस असिस्टेंट कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट डीएफओ कार्यालय शिमला शहरी को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड करने के आदेश जारी किए। कोटि में 416 पेड़ों की अवैध कटाई से संबंधित मामले में आदेश का पालन नहीं करने पर नाराजगी जताई।
यह भी पढ़ें: हिमाचल हाईकोर्ट ने फार्मेसी दुकान आवंटन मामले में दिए कार्रवाई के निर्देश
सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी
साथ ही कोर्ट ने प्रदेश सरकार को कारण बताओ नोटिस (Show cause notice) जारी किया। कोर्ट ने पूछा है कि क्यों ना इस मामले में कोर्ट द्वारा उपयुक्त कानूनी कार्रवाई की जाए। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने ये आदेश पारित किए। बता दें कि कोटि रेंज में 416 पेड़ों की अवैध कटाई और वन विभाग के उच्च अधिकारियों सहित दोषियों के खिलाफ कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया था।
यह भी पढ़ें: हाईकोर्ट के आदेश- स्वतंत्रता सेनानी की विधवा को 1974 से बकाया पेंशन दें केंद्र सरकार
सरकार ने सिर्फ की औपचारिकताएं पूरी
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया कि अवैध कटान के लिए केवल फॉरेस्ट गार्ड उत्तरदाई है। जिसे कोर्ट ने सिरे से नकारते हुए कहा कि वन विभाग (Forest Department) के सभी अधिकारी और कर्मचारी संयुक्त रूप से उत्तरदायी हैं। न्यायालय ने 17 मई 2018 को सभी वन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे, जो वन रेंज कोटि, यूपीएफ शालोट में 416 पेड़ों की अवैध कटाई के दौरान कार्यरत थे। ऐसे सभी वन अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई आरंभ करने के आदेश भी जारी किए गए थे। जो उस क्षेत्र में पिछले 3-4 वर्षों में 416 पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए जिम्मेदार थे।
कार्रवाई के नाम पर औपचारिकताएं पूरी
न्यायालय ने कहा कि उत्तरदाताओं ने कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों की अनुपालन नहीं की है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि सरकार ने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता पूरी की है। क्योंकि उन अधिकारियों के खिलाफ कोई दायित्व तय नहीं किया गया है, जो उच्च पदों पर आसीन हैं। मामले पर सुनवाई 2 सितंबर को होगी।
हिमाचल और देश-दुनिया की ताजा अपडेट के लिए Subscribe करें हिमाचल अभी अभी का Telegram Channel…