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शिमला में 2015 में फैला था पीलिया, विभाग ने जांच पूरी करने में लगा दिए साढ़े पांच साल
Last Updated on September 24, 2021 by Deepak
शिमला। राजधानी शिमला को 2015 में पीलिया ने अपनी चपेट में लिया था. हजारों लोग पीलिया का शिकार हुए थे. दर्जनों लोगों की मौत भी इससे हुई थी। जांच में पता चला था कि जिस समय शिमला शहर में अश्वनी खड्ड से पानी की सप्लाई की जा रही थी, उस समय वहां लगे ट्रीटमेंट प्लांट का प्रयोग ही नहीं किया जा रहा था।
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लोगों हंगामे के बाद शिमला पुलिस ने जांच के लिए एसआईटी गठित की थी। इसके साथ ही विभागीय जांच भी शुरू हुई थी। पूरे पांच साल बीत जाने के बाद इस विभाग की जांच पूरी हुई है।जांच में इतना समय क्यों लगा ये जांच में शामिल अधिकारी ही बता सकते हैं, लेकिन आखिरकार राज्य सरकार के निर्देश पर शुरू हुई विभागीय जांच अब पूरी हो गई है। जांच की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई है। जांच के आधार पर अब सरकार जल शक्ति विभाग के तत्कालीन अधिकारियों पर कार्रवाई कर सकती है।
विभागीय जांच में लापरवाही के सबूत मिले हैं। जांच में हर अफसर के अलग-अलग आरोपों की समीक्षा की गई है और उनके जवाबों के आधार पर अंतिम रिपोर्ट तैयार की गई है। जेई से लेकर एक्सईएन स्तर तक के अधिकारियों की भूमिका की जांच की गई है। कुल मिलाकर जांच की फाइल अब सरकार के टेबल पर है। अब देखना ये है कि सरकार इस जांच के आधार पर लापरवाही बरतने वाले अफसरों पर क्या कार्रवाई करती है।
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2015 में फैले पीलिया के दौरान हाई कोर्ट के तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने 388 कर्मचारियों के नाम दे दिए, जिनके खिलाफ सरकार के अनुसार अवमानना के मामले बनते थे। पीलिया से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश मंसूर अहमद मीर न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने कहा था कि एसआईटी मामले की तह तक जाने की बजाय मामले को निपटाने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रही है।
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