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केदार सिंह जिंदान हत्याकांड: दो दोषियों को मिला आजीवन कारावास, तीसरे को कठोर जेल
Last Updated on November 26, 2021 by saroj patrwal
सिरमौर। विशेष न्यायाधीश सिरमौर आरके चौधरी की अदालत ने हाईकोर्ट में अधिवक्ता रहे आरटीआई एक्टिविस्ट और दलित नेता केदार सिंह जिंदान की हत्या के दो दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जबकि तीसरे दोषी को तीन साल का कठोर कारावास मिला है। अदालत में मामले की पैरवी जिला न्यायवादी बीएन शांडिल ने की। उन्होंने बताया कि केदार सिंह जिंदान की मौत के दोषी जयप्रकाश को भादंसं की धारा 302 और एससी एसटी एक्ट के तहत आजीवन कारावास और एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना अदा न करने की सूरत में एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
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धारा 201 के तहत पांच वर्ष का कारावास और 25000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। हत्या के दूसरे दोषी गोपाल सिंह को भादंसं की धारा 302 और एससी-एसटी एक्ट के तहत आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। धारा 201 के तहत पांच वर्ष की जेल और 25000 रुपये जुर्माना भुगतना होगा। तीसरे दोषी कर्म सिंह को अदालत ने धारा 323 के तहत एक वर्ष कठोर कारावास और एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। धारा 325 के तहत तीन वर्ष कारावास और पांच हजार जुर्माने की सजा सुनाई है।
यह है मामला
मामला 7 सितंबर, 2018 का है। शिलाई में केदार सिंह जिंदान की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। जिला न्यायवादी ने बताया कि केदार सिंह जिंदान, रघुवीर सिंह और जगदीश चंद्र बीआरसीसी कार्यालय शिलाई से बाहर निकले तो आरोपी जयप्रकाश, कर्म सिंह एवं गोपाल सड़क के नीचे खड़े थे। जयप्रकाश ने केदार सिंह जिंदान को आवाज लगाई। केदार सिंह जिंदान गाड़ी के पास पहुंचा तो आरोपी के साथ किसी बात पर बहस हो गई। तीनों आरोपियों जयप्रकाश, गोपाल व कर्म सिंह ने स्कॉर्पियो से डंडे निकालकर केदार सिंह के साथ मारपीट शुरू कर दी। इस दौरान केदार सिंह सड़क पर गिर गया। उठने की कोशिश करते वक्त जयप्रकाश ने लोहे की रॉड से सिर पर चार-पांच बार हमला किया। फिर जयप्रकाश ने गाड़ी स्टार्ट की, जबकि गोपाल ने केदार सिंह को गाड़ी के सामने सड़क पर रखा। जयप्रकाश ने गाड़ी केदार सिंह पर चढ़ा दी। इसके बाद पुलिस ने अदालत में चालान पेश किया। अदालत में 44 गवाहों के बयान एवं साक्ष्यों के आधार पर तीन आरोपियों को यह सजा सुनाई। उप जिला न्यायवादी एकलव्य और उपजिला न्यायवादी संजय पंडित ने भी पैरवी के दौरान सहयोग किया।
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