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मणिपुर: म्यांमार सीमा पर PLA उग्रवादियों के हमले में तीन जवान शहीद; गुट का China से है ये लिंक
Last Updated on July 30, 2020 by Deepak
इम्फाल। भारत-म्यांमार सीमा (Indo-Myanmar border) के नजदीक मणिपुर (Manipur) के चंदेल में असम रायफल्स के जवानों पर PLA उग्रवादियों ने बड़ा हमला कर दिया। तलाशी अभियान के दौरान घात लगाए बैठे उग्रवादी गुट पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) द्वारा किए गए इस हमले में 3 जवान शहीद (Martyr) हो गए जबकि 6 जवान घायल हैं। जिनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। आतंकवादियों ने पहले एक IED विस्फोट किया और फिर सैनिकों पर गोलीबारी की। घटना बुधवार रात करीब सवा एक बजे राजधानी इंफाल से करीब 95 किलोमीटर की दूरी पर चंदेल जिले में हुई। यह पहाड़ी इलाका है। हमले के बाद सेना की ओर से उग्रवादियों की तलाश में सर्च ऑपरेशन (Search operation) चलाया जा रहा है। इसके साथ ही भारत-म्यांमार सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है। इंफाल से 100 किलोमीटर दूर इस इलाके के लिए बडी संख्या में जवानों को भेजा गया है।
चीन की मदद के बूते फैलाता है आतंक
PLA को चीन की तरफ से वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाती है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक चीन की मदद के बूते यह उग्रवादी संगठन भारतीय जवानों पर हमला करते हैं। इस उग्रवादी संगठन की स्थापना 1978 में एन विशेश्वर सिंह ने की थी। यह गुट भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर को अलग स्वतंत्र सोशलिस्ट राज्य बनाने की मांग कर रहा है। यह गुट पूरे राज्य के लिए लड़ाई का दावा करता है हालांकि मणिपुर में नागा, कुकी और आदिवासी समुदाय वास्तव में इस गुट का हिस्सा नहीं है।
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आरोप है कि पूर्वोत्तर में अलगाववादी गुट को चीन (China) से सीक्रेट और सिलेक्टिव मदद मिलती है। चीन पर उपद्रव गुट को हथियार मुहैया कराने के आरोप लगते रहे हैं। 2012 में एनआईए ने सीपीआई माओवादी और पीएलए की मिलीभगत का खुलासा करते हुए बताया था सीपीआई माओवादियों ने 2006 से 2011 के बीच चीनी शस्त्रों और हथियारों को म्यामांर से कोलकाता होते हुए गुवाहाटी पहुंचाया था। आरोप है चीन ने म्यामांर में मौजूद काचिन इंडिपेंडेंट आर्मी (केआईए) के जरिए पीएलए के जत्थों को ट्रेनिंग दिलवाई थी। हालांकि इस पर कोई पुख्ता प्रमाण नहीं आया है।