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टेक्नोलॉजी (Technology) का हमारी सेहत से गहरा रिश्ता है। ये हमारे फोकस करने की क्षमता, नींद, दिमाग के विकास और इंटेलिजेंस (Intelligence) पर गलत असर डालता है। इसके साथ ही, ज्यादा स्क्रीन देखने से हम आइसोलेट हो जाते हैं। सोशल मीडिया (Social Media) भी हमारे अंदर अहंकार की भावना बढ़ाता है। ऐसे में डिजिटल डिटॉक्स करना हमारे लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, मोबाइल (Mobile), लैपटॉप जैसे गैजेट्स लोगों में बेचैनी बढ़ाते हैं। जिस तरह शराब (Wine), सिगरेट की लत लगती है, लोगों को उसी तरह वर्चुअल वर्ल्ड में भी रहने की आदत हो जाती है। इसी समस्या का हल है डिजिटल डिटॉक्स (Digital Detox)। टेक्नोलॉजी से घिरे लोगों के लिए यह कमाल की थैरेपी बनती जा रही है।
डिजिटल स्क्रीन को अवॉइड करना आसान नहीं है। पर इससे ब्रेक लेना सरल जरूर है। लंबे समय तक स्क्रीन देखने की जगह हर आधे घंटे में छोटे-छोटे ब्रेक लें। कोशिश करें कि ब्रेक के समय टेक्नोलॉजी से बिलकुल दूर हो जाएं। अगर ब्रेक लेना भूल जाते हैं तो मोबाइल पर ही रिमाइंडर सेट कर लें।
यदि आपको किसी हाई-टेक मोबाइल की जरूरत नहीं है तो अपने फोन को डाउनग्रेड कर दें। इससे आपको बेमतलब मोबाइल चलाने की इच्छा कम होगी। लो-ग्रेड फोन पर आप ज्यादा ऐप्स भी इंस्टॉल नहीं कर पाएंगे।
मोबाइल और दूसरे गैजेट्स से दूरी बनाने का सबसे अच्छा तरीका है उन्हें बंद कर देना। रात के खाने के बाद से लेकर सुबह उठने तक अपने फोन को बंद रहने दें। इस समय टीवी भी न देखें। ये समय अपने परिवार के साथ या अपनी पसंदीदा एक्टिविटीज कर बिताएं।
गैजेट्स का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर देने के बजाय आप अपने आसपास नो-फोन जोन भी बना सकते हैं। इसका मतलब, डिजिटल गैजेट्स को अपने घर के कुछ हिस्सों, जैसे बेडरूम और किचन, में बैन कर दें।\
स्क्रीन टाइम कम से कम करने के लिए अपने फोन की सेटिंग्स बदल लें। जो ऐप्स या गेम्स आपका समय व्यर्थ करते हैं, उन्हें ब्लॉक कर दें। स्क्रीन टाइम सेटिंग के जरिये आप केवल वो फीचर्स ही इस्तेमाल कर पाएंगे जो ब्लॉक नहीं हुए।
यदि आप टेक्नोलॉजी के इतने आदि हो चुके हैं कि इससे आपकी सेहत खराब हो रही है, तो मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से बात करें। ध्यान रहे, आप डिप्रेशन और चिंता के शिकार भी हो सकते हैं।
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