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कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने में आनाकानी, सांसदों- विधायकों के लिए कोई नियम नहीं
Last Updated on January 16, 2022 by saroj patrwal
कांगड़ा। न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ( New Pension Scheme Employees Federation) के कांगड़ा इकाई के प्रधान राजिंदर मन्हास(Rajinder Manhas) ने प्रश्न किया है कि 2003 के बाद निर्वाचित सांसदों और विधायकों को पेंशन क्यों प्रदान की जा रही है । एक दिन सांसद, विधायक रहने पर भी उनको पेंशन मिलती है, तो कर्मचारियों को पेंशन देने में हिचक क्यों । सरकारी कर्मचारियों (Govt employees)को भी पुरानी योजना की तरह पेंशन मिलनी चाहिए। अगर कर्मचारियों को पुरानी पेंशन प्रदान नहीं की जाती है तो राष्ट्रपति, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, सांसदों और विधायकों की भी पेंशन बंद की जानी चाहिए।
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जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष संतोष पराशर, महासचिव अनीश धीमान, वित्त सचिव वीरेश भारती, मुख्य प्रेस सचिब विनोद कुमार, जिला मुख्यप्रवक्ता जोगिंदर सिंह , उपाध्यक्ष डॉक्टर विकास नंदा , राज्य महिला विंग मुख्य संगठन सचिव पूजा सबरवाल राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष सौरभ वैध , राज्य मुख्यप्रवक्ता अनिरुद्ध गुलेरिया , महिला विंग राज्य महासचिब ज्योतिका मेहरा , राज्य महिला विंग उपाध्यक्ष मोनिका राणा , राज्य मीडिया प्रभारी पंकज शर्मा , अतरिक्त राज्य महासचिब अंकुर शर्मा , राज्य उपाध्यक्ष नारायण, अजय राणा के साथ राज्य सह मीडिया प्रभारी अलका गिल ने बताया कि पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्य सरकारों व केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए नई पेंशन स्कीम लागू की है।
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इस व्यवस्था को जनवरी 2004 के बाद नियुक्त सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना के स्थान पर नई पेंशन योजना लागू की गई है अगर 2003 के बाद के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन नहीं तो फिर 2003 के बाद के चुन के आए नेताओ को पेंशन देकर सरकार दोहरे मापदंड क्यों अपना रही है संगठन ने इस अन्याय को आम जन तक पहुंचाने का मन बना लिया है और अब नेताओं की पेंशन पर भी जनता सवाल उठाएगी
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