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विपक्ष हमलावर, अग्निहोत्री-आशा कुमारी ने कहा-सराज और धर्मपुर में ही खर्च हो रहा बजट
शिमला। हिमाचल विधानसभा (Himachal Vidhansabha) में बजट की सिंचाई, जलापूर्ति एवं सफाई पर अनुदान मांगों पर कांग्रेस के 11 विधायकों और माकपा विधायक राकेश सिंघा (Rakesh Singha) की ओर से रखे कटौती प्रस्ताव पर चर्चा हुई। चर्चा में सबसे पहले नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री (Mukesh Agnihotri) बोले। उन्होंने सरकार पर बजट आबंटन में भेदवाव का आरोप लगाया। इसके अलावा आशा कुमारी (Asha Kumari) ने कटौती प्रस्ताव मांग संख्या 13 पर चर्चा में कहा कि प्रदेश में केवल दो ही विधानसभा क्षेत्रों में पैसे खर्च किए जा रहें है। आशा कुमारी ने आरोप लगाया कि पूरी योजना की 47 फीसदी राशि केवल सीएम जयराम ठाकुर (CM Jairam Thakur) और जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के चुनाव क्षेत्र में खर्च की जा रही है। सीएम (CM) के चुनाव क्षेत्र में 2600 करोड़ रुपए और जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर (Mahendra Singh Thakur) के चुनाव क्षेत्र में 1800 करोड़ की स्कीमें दी गई हैं जो कुल योजना का 47 फीसदी बैठता है।
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नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने विधानसभा में बजट बंटवारे को लेकर हमलावर हुए। अग्निहोत्री ने हिमाचल सरकार से जल जीवन मिशन और अन्य योजनाओें के लिए बजट बंटवारे पर श्वेत पत्र मांग लिया। मुकेश ने कहा कि सरकार श्वेत पत्र जारी करे कि जल जीवन मिशन, दूसरे प्रोजेक्ट का और अन्य मसलों का कितना बजट आया है। इस बारे में सारी स्थिति साफ की जाए। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि दो-तीन हलकों में ही बजट बांट दिया गया है।
कटौती प्रस्तावों और चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने जल जीवन मिशन में आज तक हुई टेंडर प्रक्रिया पर सवाल उठाए। मुकेश ने कहा कि जल जीवन मिशन में प्रदेश के पूरे पैसे से केवल दो ही विधानसभा क्षेत्रों में ही काम किया गया है। मुकेश ने कहा कि सीएम के चुनाव क्षेत्र में सबसे ज्यादा स्कीमें और राशि आबंटित की गई है। जल जीवन मिशन में कुल कितने टेंडर करवाए गए।। हिमाचल को केंद्र से कितनी राशि मिली है।
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मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि 500 करोड़ के मुकाबले 5000 करोड़ के टेंडर करवा दिए गए हैं, जबकि इसके लिए 200 करोड़ बीते वर्ष और 320 करोड़ इस वर्ष प्राप्त हुए हैं। इससे साफ दिखता है कि टेंडर में असंतुलन है। बड़े पैमाने में टेंडर बिना बजट प्रावधानों के लगाए गए हैं। कहीं से भी वित्त प्रबंध का प्रावधान नहीं है। ऐसे में इन योजनाओं का क्या हश्र होगा। मुकेश ने कहा कि पीने के पानी की पाइपों की व्यवथा नहीं हो पाई है। इस पूरे मामले में कैसे अधिकारियों ने इन प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाया है।
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कर्मचारियों को न्यूनतम दिहाड़ी नहीं दी जा रही है। कितने लोगों को इस योजना में दिहाड़ी के हिसाब से आउटसोर्सिंग के आधार पर रखा गया है । पूर्व सरकार की रिक्तियों को भी विशेष क्षेत्रों की तरफ डायवर्ट किया गया है। प्रदेश के 68 विधानसभा क्षेत्रों में नौकरियां देने में असंतुलन कर दिया है जो न्याय नहीं है। उन्होंने कहा कि रेस्ट हाउस के नाम बदल कर अब इनके नाम किसान भवन बनाए जा रहे है, क्योंकि रेस्ट हाउस के लिए कैबिनेट की मंजूरी ज़रूरी रहती है, जबकि किसान भवन जल जल जीवन मिशन का हिस्सा कैसे हो सकते हैं।