यहां आदिवासी महिलाएं बेच रही हैं हर्बल गुलाल, इतनी है कीमत

शहरों में भी किए जाएंगे काउंटर स्थापित

यहां आदिवासी महिलाएं बेच रही हैं हर्बल गुलाल, इतनी है कीमत

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उदयपुर होली ने पूर्ववर्ती राजघरानों द्वारा भव्य समारोहों के लिए दुनिया भर में एक पहचान बनाई है। हालांकि, इस साल उत्सव महिलाओं के सशक्तिकरण के बारे में होगा, जो आदिवासी महिलाओं पर आधारित हैं। आदिवासी महिलाएं पौधों और फूलों से बने हर्बल (Herbal) गुलाल बनाने और विपणन करने में लगी हुई हैं।


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राजस्थान (Rajasthan) के आदिवासी शहर उदयपुर जिले में एक मूक क्रांति चल रही है, जहां आदिवासी महिलाओं ने लाल रंग के लिए चुकंदर, गुलाबी के लिए गुलाब के फूल, पीले रंग के लिए पलाश के फूल आदि का उपयोग करके अनोखे गुलाल बना रही हैं। दूर-दराज के आदिवासी क्षेत्र की महिला स्वयं सहायता समूह यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं कि वन उपज का उपयोग करके बनाया गया उनका हर्बल गुलाल उन पर्यटकों तक पहुंचे जो होली मनाने के लिए उदयपुर आते हैं। जानकारी के अनुसार, ये हर्बल गुलाल पैकेट और गिफ्ट हैंपर्स 120 रुपए से 500 रुपए की रेंज में उपलब्ध हैं, जो शहर में स्थापित किसी भी काउंटर से प्राप्त किए जा सकते हैं।
दरअसल, राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद ने विशेष उपहार हैंपर्स बनाए हैं, जिन्हें मॉल, पर्यटन स्थलों और सहकारी बाजारों में स्थापित किए जा रहे स्टालों पर भी प्रदर्शित किया गया है ताकि इन स्थानों पर आने वाले पर्यटक सबसे दुर्लभ उत्पादों को अपने स्थानों पर ले जा सकें ताकि वे यह सुनिश्चित कर सकें कि रसायन मुक्त होली खेली जाए।

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सुमन अजमेरा, जिला परियोजना प्रबंधक, राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद, उदयपुर, राजसमंद ने कहा कि झाडोल और कोटड़ा की आदिवासी महिलाएं फूलों से इस हर्बल गुलाल को बना रही हैं। अब हमारा लक्ष्य इन महिलाओं को उनके उत्पाद बेचकर अधिक से अधिक लाभ देना है। हमारा लक्ष्य है कि अधिक से अधिक लोग हर्बल होली खेलने के अभियान में शामिल हों। उन्होंने कहा कि गिफ्ट हैंपर्स और पोस्टरों को लॉन्च करते हुए हमने विभिन्न सरकारी, औद्योगिक, व्यापार, सामाजिक संगठनों और आम जनता के इच्छुक सदस्यों से इन आदिवासियों को इस होली पर हर्बल गुलाल के उपहार के रूप में बनाने का आह्वान किया है।

–आईएएनएस

 

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Tags: | Rajasthan | holi | national news | festival of colours | herbal colours
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