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धर्मशाला। जिला कांगड़ा स्थित पौंग झील (Pong Lake) में सात समुंदर पार से पहुंचे विदेशी परिदों (Migratory Birds) की अचानक हो रही मौत से रहस्य गहरा गया है। पौंग झील के अलग अलग स्थानों पर अब तक 600 से अधिक प्रवासी पक्षी मृत मिल चुके हैं। आखिर पक्षियों की इस तरह अचानक मौत के पीछे का कारण क्या है, इसका खुलासा तो सैंपल जांच रिपोर्ट से हो सकेगा, लेकिन इतनी संख्या में पक्षियों के अचानक मरने से किसी बीमारी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। मृत पक्षियों के नमूने जांच के लिए बरेली, जालंधर और भोपाल भेजे गए हैं।
वहीं, पक्षियों की हो रही मौत के बाद डीसी कांगड़ा राकेश प्रजापति (DC Kangra Rakesh Prajapati) ने पौंग झील में आगामी आदेशों तक सभी प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगा दी है। पौंग झील के एक किलोमीटर एरिया को अलर्ट जोन (Alert Zone) घोषित किया गया है। इस एरिया में किसी भी प्रकार की मानवीय व पशुओं को चराने से संबंधित किसी भी प्रकार की एक्टिविटी नहीं हो सकती है। अलर्ट जोन के अगले नौ किलोमीटर को सर्विलांस जोन (Surveillance Zone) बनाया गया है। इस पर विभाग कड़ी नजर रखेगा। पौंग डैम में सभी प्रकार की पर्यटन गतिविधियों पर भी रोक लगा दी है। पौंग झील के किनारे पुलिस (Police) बल तैनात कर दिया गया है। अगर कोई व्यक्ति नियमों की अवहेलना करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
बता दें कि कांगड़ा जिला के वन्य प्राणी परिक्षेत्र धमेटा के मझार, बथाड़ी, सिहाल, जगनोली, चट्टा, धमेटा, और कुठेड़ा व नगरोटा के गुगलाड़ा आदि में पक्षी मृत पाए गए हैं। सबसे पहले धमेटा वन परिक्षेत्र के फतेहपुर क्षेत्र में चार बार हैडिड बतखों और एक कॉमन टील की मौत की जानकारी विभाग को मिली थी। प्रवासी पक्षियों की मौत की सूचना के उपरांत वन्य प्राणी मंडल हमीरपुर (Wildlife Hamirpur) के स्टाफ ने समूचे पक्षी शरण्यस्थल पौंग झील का निरीक्षण किया और विभिन्न स्थानों पर प्रवासी पक्षियों को मृत पाया गया। 29 दिसंबर तक 421 पक्षी मृत मिल चुके थे और इसके बाद पक्षियों के मरने का सिलसिला जारी है। डीएफओ वन्य प्राणी हमीरपुर राहुल रहाणे ने बताया कि मृत पक्षियों के सैंपल आरवीआरआई बरेली, आरडीडीएल जालंधर और भोपाल जांच के लिए भेजें हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता चल सकेगा। उन्होंने बताया कि पौंग झील में सभी प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगा दी है। इस बारे डीसी कांगड़ा ने आदेश जारी कर दिए हैं। यहां आपको बता दें कि साइबेरिया और अफगानिस्तान सहित अन्य देशों में जब तालाबों का पानी जम जाता है, तो ये पक्षी सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर भारत में आते हैं। जब यहां गर्मी शुरू होती है तो यह दोबारा अपने वतन को वापस लौट जाते हैं। पक्षियों की लगभग 103 प्रजातियां आती हैं। दुनिया की सबसे सुंदर वेटलैंड में शुमार पौंग झील सेंट्रल एशिया के पक्षियों की पहली पसंद है।
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