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Himachal: कोरोना के साथ सूखे का कहर, अब तक लाखों का नुकसान
शिमला। हिमाचल (Himachal) में कोरोना (Corona) के साथ सूखा भी कहर बरपाने को तैयार है। हिमाचल के जिलों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कम वर्षा के कारण प्रदेश के कुल 4,13,134 हेक्टेयर फसल क्षेत्र में से 1,46,508 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जिससे 10,820.57 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। सर्वाधिक नुकसान बिलासपुर (Bilaspur) जिले में हुआ है, जहां कुल 28,020 हेक्टेयर फसल क्षेत्र में से 20,280 हेक्टेयर क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। इस प्रकार जिले में 3,259.37 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है। चंबा जिले में 3,571 हेक्टेयर फसल भूमि को नुकसान हुआ है, जिससे 815.58 लाख रुपये का नुकसान पहुंचा है। इसी प्रकार अन्य जिलों में भी फसल क्षेत्र को नुकसान होने की जानकारी प्राप्त हुई है। यह जानकारी मुख्य सचिव अनिल खाची (Chief Secretary Anil Khachi) ने दी है।
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समूहों का गठन की वकालत
मुख्य सचिव अनिल खाची ने हिमाचल में सूखे जैसी स्थिति की संभावना से निपटने के लिए विभिन्न जिलों की तैयारियों की समीक्षा के लिए आज वीडियो कॉन्फ्रेंस (Video Conference) के माध्यम से डीसी से बातचीत करते हुए कृषि, बागवानी और संबद्ध विभागों को निर्देश दिए कि स्थिति से निपटने के लिए जिला स्तर पर कार्य योजना तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में पेयजल आपूर्ति सामान्य है, लेकिन इस वर्ष कम वर्षा (Rain) होने के कारण कृषि क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि मौसम की परिस्थितियों पर नजर बनाए रखने के लिए समूहों का गठन किया जाए और कृषि विभाग (Agriculture Department) को मौसम व फसल की स्थिति पर डेटा एकत्र करना चाहिए, ताकि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को सहायता प्रदान की जा सके।
कम वर्षा होने से जल शक्ति विभाग योजनाएं प्रभावित
अनिल खाची ने कहा कि कम वर्षा होने से जल शक्ति विभाग (Jal Shakti Vibhag) की भी विभिन्न योजनाएं प्रभावित हुई हैं। विभाग की कुल 9,526 योजनाओं में से 401 योजनाओं को 25 प्रतिशत तक, 197 योजनाओं को 25 से 50 प्रतिशत तक, 87 योजनाओं को 50 से 75 प्रतिशत तक जबकि 28 योजनाओं को 75 प्रतिशत से अधिक क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए जल शक्ति विभाग को संबंधित क्षेत्रों में जल आपूर्तिकर्ता चिन्हित कर परिवहन की दरें निर्धारित करनी चाहिए, ताकि आवश्यकता होने पर प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति की जा सके। उन्होंने हैंड पंपों से जल निष्कासन को रोकने के लिए इनकी मरम्मत करने और सभी पारंपरिक व निजी जल स्रतों के उचित रख-रखाव के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक जल स्रतों की समुचित सफाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कार्य में पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों की सहभागिता भी सुनिश्चित बनाई जाए। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं (Panchayati Raj Institutions) के प्रतिनिधियों को जल संरक्षण के तरीकों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।
कार्यशील मोबाइल वेटरनरी यूनिट तैयार करने के निर्देश
मुख्य सचिव ने कहा कि वर्तमान में किसी भी जिले में पशु चारे की कमी नहीं है, लेकिन पशुपालन विभाग (Animal Husbandry Department) को अभी से लेकर सभी प्रकार की तैयारियां कर लेनी चाहिए, ताकि किसानों को किसी असुविधा का सामना ना करना पड़े। पशु रोगों की रोकथाम के लिए उन्होंने कार्यशील मोबाइल वेटरनरी यूनिट (Mobile Veterinary Unit) तैयार रखने के निर्देश देते हुए कहा कि मृत पशुओं दबाने के लिए उचित स्थल निर्धारित किए जाएं। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों के स्तर पर आपातकालीन मेडिकल टीमें गठित करने के निर्देश दिए ताकि जल जनित रोगों के कारण किसी भी प्रकार की महामारी होने की स्थिति से निपटा जा सके। अनिल खाची ने वन विभाग को निर्देश दिए कि उन क्षेत्रों की सूची तैयार की जाए जहां जंगलों में आग लगने की अधिक संभावना रहती है, ताकि ऐसे क्षेत्रों की निगरानी के लिए श्रमशक्ति तैनात की जा सके। अतिरिक्त मुख्य सचिव निशा सिंह एवं जेसी शर्मा, कृषि निदेशक नरेश ठाकुर, बागवानी निदेशक जेपी शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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