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Kangra: कश्मीर सिंह की भी सुध ले लो सरकार, अब तो गिरने को आया मकान
फतेहपुर। कई बार जिंदगी इतनी बोझ बन जाती है कि इंसान के पास उसे ढोने के सिवाय कोई और चारा नहीं रहता है, बस जो दिन कट गया वह ही अच्छा। पीड़ा इस बात की होती है कि कोई सरकारी मदद (Government Help उस गली से भी नहीं गुजरती जहां बेबसी का आलम होता है। तब एक सवाल जरूर उठता है कि आखिर सरकारी योजनाएं किस लिए और किसके लिए बनती हैं। ऐसे ही एक बेबस व्यक्ति के बारे हम आपको बताने जा रहे हैं। हिमाचल के जिला कांगड़ा के विकास खंड फतेहपुर की पंचायत झुम्ब खास के गांव छाटवां के कश्मीर सिंह तीन साल से ऐसी ही किसी मदद के इंतजार में दिन काट रहे हैं। बिस्तर पर पड़े कश्मीर सिंह, कच्चा मकान, उस पर भी बारिश (Rain) से रसोई का गिर जाना कुछ इस तरह का दृश्य छाटवां गांव में देखने को मिल रहा है।
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छाटवां के कश्मीर सिंह पिछले करीब तीन साल से बिस्तर पर अपनी जिंदगी की गुजर बस कर रहे हैं। एक हादसे में वह दिव्यांग हो चुके हैं। हैरानी की बात है कि सरकार के नुमाइंदें व प्रशासन के अधिकारियों तक कश्मीर सिंह और उसके परिवार की बेबसी की चीखें आज तक नहीं पहुंच पाई हैं। कश्मीर सिंह ने बताया वह मिस्त्री का काम करते थे। करीब 3 वर्ष पूर्व रैहन क्षेत्र में दोमंजिला मकान के निर्माण दौरान सीढ़ियों से गिर गए थे। जैसे-तैसे पैसों का इंतजाम कर पठानकोट (Pathankot) के निजी अस्पताल (Private Hospital) में इलाज करवाया, लेकिन वह स्वस्थ नहीं हो पाए। इलाज के दौरान करीब 3 लाख रुपये खर्च आया था,
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लेकिन फिर भी शरीर चलने के काबिल ना हुआ। इसमें उन्हें सिर्फ पचास हजार रुपये मेडिकल के लिए मिले थे। अभी भी उन पर करीब अढ़ाई लाख रुपये का कर्ज है, जिसे चुकाना उनके बस में नहीं है। पत्नी मनरेगा व लोगों के घरों में काम कर परिवार में दो बच्चों का पालन पोषण कर रही हैं। क्षेत्र के लोग भी उनसे सहानुभूति के तौर पर परिवार के पालन पोषण में सहयोग दे रहे हैं, लेकिन ना तो पंचायत ने उन्हें सहायता दी है और ना ही प्रशासन ने। अब तो उनका कच्चा मकान भी गिरने की कगार पर खड़ा है। बीती रात हुई बारिश कारण उनकी रसोई की दीवार गिर गई है। उन्होंने सरकार व प्रशासन से गुहार लगाई है कि उनके दुख दर्द को देखते हुए उन्हें सहायता राशि मुहैया करवाई जाए।
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