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पत्थर की मूर्ति कैसे बन जाती है भगवान, जानिए क्या है प्राण प्रतिष्ठा ?
Last Updated on January 23, 2024 by Soumitra Roy
नेशनल डेस्क। सनातन धर्म में कहा जाता है कि किसी भी मंदिर में भगवान की प्रतिमा स्थापित करने से पहले मूर्ति की पूजा-अर्चना (Pran Pratishtha) कर प्राण प्रतिष्ठा करना जरूरी है। प्राण-प्रतिष्ठा का अर्थ होता है प्रतिमा में प्राणों की स्थापना करना या मूर्ति को देवी या देवता के रूप में बदलना। बिना प्राण-प्रतिष्ठा के किसी भी मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है। माना जाता है कि प्राण-प्रतिष्ठा से पहले मूर्ति निर्जीव होती है। प्राण-प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति को सजीव माना जाता है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रतिमा की पूजा-अर्चना (Worship) की जाती है।
कैसे की जाती है प्राण-प्रतिष्ठा
किसी भी देवता की मूर्ति की प्रतिष्ठा के लिए कई चरण होते हैं और इन्हें अधिवास कहा जाता है। अधिवास में मूर्ति को अलग-अलग चीजों में डुबोया जाता है। सबसे पहले प्रतिमा को पानी में रखा जाता है। इसके बाद अनाज में रखा जाता है। अगले अधिवास में मूर्ति को औषधि, केसर और घी में रखा जाता है। इन सारी प्रक्रिया के बाद मूर्ति का स्नान कराया जाता है। स्नान के बाद अभिषेक किया जाता है। इसके बाद मूर्ति का श्रृंगार कर वस्त्र, आभूषण पहनाए जाते हैं। इसके उपरांत मूर्ति की आंखों से पर्दा हटाया जाता है। अब कई तरह के मंत्रोच्चारण के बाद देव को जगाया जाता है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद मंदिर में उन देवता की पूजा-अर्चना की जाती है।