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कोरोना महामारी की दूसरी लहर से आर्थिक सुधार की रफ्तार हुई धीमी, फिर बढ़ी बेरोजगारी
Last Updated on April 18, 2021 by Sintu Kumar
कोरोना महामारी की दूसरी लहर (Corona Second Wave)से फिर बेरोजगारी बढ़ गई है। इसका मुख्य कारण विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन के बीच उत्पादन घटने से (Unemployment Rises) बेरोजगारी बढ़ना बताया गया है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के ताजा आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं। कोरोना की इस दूसरी लहर से आर्थिक सुधार की रफ्तार धीमी होने से बेरोजगारी बढ़ने लगी है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE)की रिपोर्ट के मुताबिक 11 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह में शहरी बेरोजगारी बढकर 9.81 फीसदी पहुंच गई है, वहीं 28 मार्च को सप्ताह में ये 7.72 फीसदी और मार्च के पूरे महीने में ये 7.24 फीसदी थी। इसी में बताया गया है कि (National Unemployment) राष्ट्रीय बेरोजगारी बढ़कर 8.58 फीसदी पर पहुंच गई है जो 28 मार्च को समाप्त सप्ताह में 6.65 फीसदी थी। इसी तरह ग्रामीण बेरोजगारी इस दौरान 6.18 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी पर पहुंच गई है। कोरोना की दूसरी लहर के बीच कई राज्यों में आंशिक लॉकडाउन (Lockdown) लगा दिया गया है,इससे बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई है।
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महामारी के बीच मेन्युफैक्चरिंग और खनन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के चलते औद्योगिक उत्पादन (Industrial Production) में गिरावट दर्ज की गई है। खाने के सामान महंगे होने से खुदरा महंगाई की दर मार्च में बढकर 5.52 फीसदी पर पहुंच गई है। बेरोजगारी बढ़ने से लोगों की वित्तीय स्थिति और खराब होगी। दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में मॉल,रेस्तरां,बार जैसी सार्वजनिक जगहों पर कोरोना नियमों की अनुपालन में सख्ती से शहरी रोजगार में और कमी देखने को मिली है। कई राज्यों में कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट के साथ प्रवेश के नियम की वजह से पर्यटन क्षेत्र के रोजगार में भी कमी आने की संभावना है। वर्ष 2020 में कोरोना काल में ज्यादातर प्रवासी मजदूर अपने घर लौट गए थे। उस दौरान भी हालत खराब हो गई थी। अबकी मर्तबा भी ये प्रवासी (Migrants) पहले ही अपने घरों को लौट रहे हैं, इससे बेरोजगारी और बढ़ने की बात सामने आ रही है।