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शिमला। हिमाचल के जिला कांगड़ा (Kangra) के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कस्बा कोटला में स्वास्थ्य मेले (Health Fair) का आयोजन किया गया। इस मेले में स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (State Organ and Tissue Transplant Organization) (सोटो) हिमाचल प्रदेश का स्टाल आकर्षण का केंद्र रहा। इस दौरान सोटो टीम ने लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक किया और पेंफ्लेट बांटकर अंगदान करने के लिए शपथ पत्र भरने का आग्रह किया। इसमें स्थानीय लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। बीएमओ डाडासीबा डॉक्टर सुभाष ठाकुर के साथ मेडिकल स्टाफ सहित 50 से अधिक स्थानीय लोगों ने अंग दान का संकल्प लिया। इस दौरान सोटो टीम ने बताया कि लोग मृत्यु के बाद भी अपने अंगदान करके जरूरतमंद का जीवन बचा सकते हैं।
अंगदान करने वाला व्यक्ति ऑर्गन के जरिए 8 लोगों का जीवन बचा सकता है। किसी व्यक्ति की ब्रेन डेथ (Brain Death) की पुष्टि होने के बाद, डॉक्टर उसके घरवालों की इच्छा से शरीर से अंग निकाल पाते हैं। इससे पहले सभी कानूनी प्रकियाएं पूरी की जाती हैं। इस प्रक्रिया को एक निश्चित समय के भीतर पूरा करना होता है। ज्यादा समय होने पर अंग खराब होने शुरू हो जाते हैं। देश में प्रतिदिन प्रत्येक 17 मिनट में एक मरीज ट्रांसप्लांट (Transplant) का इंतजार करते हुए जिंदगी से हाथ धो बैठता है। एक व्यक्ति जिसकी उम्र कम से कम 18 वर्ष को स्वैच्छिक रूप से अपने करीबी रिश्तेदारों को देश के कानून व नियमों के दायरे में रहकर अंगदान कर सकता है। अंगदान एक महान कार्य है जो हमें मृत्यु के बाद कई जिंदगियां बचाने का अवसर देता है।
जीवित अंगदाता किडनी, लीवर का भाग, फेफड़े का भाग और बोन मैरो दान दे सकते हैं, वहीं मृत्युदाता यकृत, गुर्दे, फेफड़े, पेनक्रियाज, कॉर्निया और त्वचा दान कर सकते हैं। पिछले माह हिमाचल में पहली बार ब्रेन डेड मरीज के शरीर से अंगदान हुआ जहां अठारह वर्षीय युवक ने दो किडनी व आंखे दान की। यह अंगदान टांडा मेडिकल कॉलेज में हुआ था।
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