-
Advertisement
फ्री वाईफाई यूज करने से पहले एक बार जरूर सोच लें, कहीं कंगाल ना हो जाएं
Last Updated on April 20, 2021 by Sintu Kumar
आज हर कोई इंटरनेट से जुड़ा है। कई सार्वजनिक जगहों पर फ्री वाईफाई ( Free wifi) की सुविधा उपलब्ध रहती है। हम सभी जानते हैं कि हॉटस्पॉट ( Hotspot) के जरिये वाईफाई की सुविधा फ्री में मिलती है। लेकिन अब जरा सावधान हो जाएं मुफ्त में मिलने वाली यह सुविधा आपके लिए मुसीबत भी बन सकती है। इसके कारण आपको अपनी जमा पूंजी गंवानी पड़ सकती है. दरअसल हॉटस्पॉट के जरिये मिलने वाली वाईफाई को एक साथ लाखों लोग इस्तेमाल करते हैं। खासकर ऐसे काम में जब आज सभी ट्रांजेक्शन मोबाइल से कर रहे हैं तो इसे कभी भी सुरक्षित तरीका नहीं माना जाता। क्योंकि इसका इस्तेमाल हैकर्स ( Hackers) भी करते हैं और उनकी निगाह आप के खाते पर होती है।
यह भी पढ़ें: YouTube पर सीखी Hacking, 11 साल के बच्चे ने अपने पापा को ब्लैकमेल कर मांगे 10 करोड़ रुपए
जब आप मोबाइल में फ्री वाईफाई इस्तेमाल करते हैं तो हमें इस बात की जानकारी नहीं होती कि इसका एक्सेस कोई और भी ले सकता है। साथ ही हम इस बात की निगरानी भी नहीं रख सकते कि हॉटस्पॉट कितना भरोसेमंद है। जब आप पब्लिक वाईफाई का इस्तेमाल करते है तो हैकर्स भी इसमें एक्टिव ( Active) रहते हैं। इसके जरिये उन्हें अलग-अलग यूजर्स की जानकारी मिलती है। कुछ हैकर्स लोगों को झांसा देने के लिए फ्री वाईफाई हॉटस्पॉट भी बना लेते हैं, ऐसे में लोगों की जरूरी फाइलें या मोबाइल के जरिए हैकर्स तक पहुंच जाती है। इसमें बैंक के पासवर्ड से लेकर और भी कई संवेदनशील सूचनाएं शामिल हो सकती हैं। इसी को माध्यम से वो लोगों को चूना लगाते हैं।
यह भी पढ़ें: बैंक का यह पेमेंट ऑप्शन 14 घंटे के लिए नहीं करेगा काम, हो सकती है मुश्किल
इससे बचने का सिर्फ यही उपाय है कि जब भी आप फ्री वाईफाई का इस्तेमाल कर रहे होते हैं तो किसी प्रकार का ट्रांजेक्शन न करें। किसी पब्लिक इंटरनेट नेटवर्क के माध्यम से बैंक से जुड़े काम करने पर धोखा हो सकता है। पब्लिक वाईफाई नेटवर्क से अगर ट्रांजेक्शन करते हैं तो उसके पहले आपको फोन या मोबाइल ऐप का सिक्योरिटी कोड डालना होगा। ऐसी स्थिति में आपकी जानकारी चोरी होने का डर है और फ्रॉड होने की आशंका बढ़ जाती है। आजकल इंटरनेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग के जरिये सभी काम होते हैं। साइबर अपराधी ऑनलाइन बैंकिंग डिटेल, अकाउंट डिटेल, यूजरनेम और पासवर्ड की चोरी करते हैं। इसके बाद खुद को किसी बैंक या संस्था का प्रामाणिक सदस्य बताते हुए फोन पर ओटीपी या सीवीवी पूछा जाता है। जो लोग इसके शिकार हो गए, उनके खाते से पैसे निकाल लिए जाते हैं।