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जब सूर्यदेव पर क्रोधित हुए थे भोलेनाथ, पूरी सृष्टि में छाया था अंधेरा!
Pauranik Katha: हिंदू धर्म में भोलेनाथ जी (Bholenath) को देवों के देव महादेव कहा जाता है। सोमवार का दिन भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है। इस दिन भगवान की पूजा का विशेष विधान होता है। मान्यताओं के अनुसार, जो भी भक्त भोलेनाथ की शरण लेता है, उसपर हमेशा भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है और सब मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भगवान भोले जितने भोले हैं उनका कोध्र (Angriness) उतना की भयानक है।
पौराणिक कथा (Pauranik Katha) के अनुसार, एक असुर माली और सुमाली अपनी पुकार लेकर भोलनाथ के पास पहुंचे थे, जिसके बाद भोलेनाथ क्रोधित हो उठे और उनके क्रोध का शिकार सूर्यदेव को भी होना पड़ा। भगवान ने सूर्यदेव (Suryadev) पर त्रिशूल से प्रहार भी कर दिया था, जिसके बाद पूरी सृष्टि में अंधकार छा गया था। आखिर शिवजी को सूर्य पर क्रोध क्यों आया था…क्या थी वो पूरी घटना आइए जानते हैं।
विस्तार से जानिए पौराणिक कथा
ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार, असुर माली और सुमाली (Mali and Sumali) को गंभीर शारीरिक पीड़ा थी और उन्हें सूर्य देवता की अवहेलना के कारण पीड़ा से मुक्ति नहीं मिल रही थी। उन दोनों ने भोलेनाथ के पास शरण ली और अपनी पीड़ा उनके सामने व्यक्त की। उन दोनों ने भोलेनाथ को बताया कि उनकी पीड़ सूर्यदेव के कारण ठीक नहीं हो पा रही। दोनों की व्यथा सुनकर भोलेनाथ क्रोधित हो उठे और उन्होंने सूर्य देव पर त्रिशूल से प्रहार कर दिया। जिसके पश्चात सूर्यदेव अचेत हो गए जिस वजह से पूरी सृष्टि में अंधकार (Darkness) छा गया। सूर्य देव कश्यप ऋषि के पुत्र हैं। सृष्टि में अंधकार होने और भगवान शिव के प्रहार के बारे में कश्यप ऋषि को जब पता चला तो वे क्रोधित हो गए। उन्होंने भगवान शिव को पुत्र की दशा पर दुखी होने का श्राप दिया। कहा जाता है कि इस श्राप की वजह से ही भगवान शिव ने गणेश जी का सिर काटा था।
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सूर्य देव को जीवनदान
जब शिव भगवान का क्रोध शांत हुआ, तो उन्होंने देखा कि सृष्टि में अंधकार है। तब उन्होंने सूर्य देव को जीवनदान दिया। ब्रह्मा जी ने असुर माली और सुमाली को कष्ट से मुक्ति के लिए सूर्य उपासना का महत्व समझाया, तब माली-सुमाली ने ब्रह्मा जी के कहे अनुसार, सूर्य देव की पूजा-आराधना की और उनकी पूजा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने उनकी समस्त शारीरिक परेशानियों का अंत कर दिया।