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ऊना। कांगड़ा जिला में बर्ड फ्लू (#birdflu) का मामला सामने आने के बाद पशु पालन विभाग ने जिला ऊना (Una) के मुर्गी पालकों के लिए एडवाजरी (Advisory) जारी की गई। इस संबंध में जानकारी देते हुए पशु पालन विभाग के उप निदेशक डॉ. जय सिंह सेन ने बताया कि प्रवासी पक्षियों में प्रवासियों पक्षियों में पाया गया फ्लू का वायरस पालतू मुर्गियों में ना फैल जाए, इसके लिए बीमारी की रोकथाम व नियंत्रण के लिए जरूरी एहतिहात बरतना आवश्यक हैं।
डॉ. सेन ने कहा कि फार्म व बाड़े में जाने के लिए मुर्गी पालकों को अलग कपड़ों तथा जूतों का इस्तेमाल करना चाहिए। फार्म व बाड़े के बाहर फुटपाथ बनाएं, जिसमें फिनायल अथवा अन्य कीटाणुनाशक घोल का प्रयोग करें। फार्म व बाड़े में जाने से पहले साबुन से हाथ धो कर जाएं। फार्म के चारों तरफ नियमित रूप से चूने का छिड़काव करें। फार्म में पड़े छिद्रों को बंद करें, जिनमें चूहे व नेवले अंदर प्रवेश ना कर सकें। फार्म व बाड़े के चारों ओर उगी ऊंची झाड़ियां व ऊंचे पेड़ों की टहनियों को काट दें, जिसमें कोवे, चील व गिद्ध जैसे मांसाहारी पक्षी (Carnivorous birds) उस पर ना बैठे सकें। मुर्गी पालकों को इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि मांसाहारी व प्रवासी पक्षियों का मल किसी भी तरीके से फार्म में रखी मुर्गियों के संपर्क में ना आएं।
डॉ. जय सिंह सेन ने बताया कि घरेलू मुर्गी पालन या देसी मुर्गी पालने वाले किसानों की मुर्गियां अकसर भोजन की तलाश में नाली व घर के आसपास घूमती रहती हैं, लेकिन इसके लिए किसानों को विशेष ध्यान देना चाहिए और एहतियात के तौर पर उनके दाने-पानी की व्यवस्था बाड़े में ही उपलब्ध करनी चाहिए। ऐसा करने से मुर्गियों को भोजन के लिए खुले में विचरण ना करना पड़े, जिससे उनका संपर्क मांसाहारी व प्रवासी पक्षियों के मल से नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि जिन मुर्गी पालकों ने घर में कुते पाल रखें हैं, उन्हें बांध कर रखें और उनके भोजन की व्यवस्था उनकी जगह पर ही करें। फार्म में आवारा कुत्ते ना आएं, इसके लिए किसानों को फार्म के चारों तरफ बाड-बंदी करनी चाहिए।
उप निदेशक पशु पालन विभाग (Deputy Director Animal Husbandry Department) ने बताया कि मुर्गी फार्म से निकलने वाले कूड़े में अकसर अनाज के दाने रहते हैं इसलिए किसानों को कूड़े का उचित प्रबंध करना चाहिए, जिसमें पक्षी व चूहे उस तरफ आकर्षित ना हों। मुर्गी फार्म में मृत पक्षियों के लिए अलग से गड्ढे़ की व्यवस्था करनी चाहिए, जिसमें नेवले और आवारा कुत्ते व जंगली जानवर आकर्षित ना हों। गड्ढ़ों में मृत पक्षियों को दबाने से पहले शवों के ऊपर नमक व चूने की एक परत फैलाएं।
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