- Advertisement -
पर्यावरण संरक्षण (Environment Protection) को लेकर जागरूकता का असर आजकल लोगों की जीवनशैली पर भी नजर आ रहा है। प्लास्टिक और अन्य धातुओं के ज्यादा इस्तेमाल से पर्यावरणीय असंतुलन (Environmental Imbalance) पैदा हो रहा है। मिट्टी से तैयार बर्तनों में खाना बनाने से खाने में स्वाद बना रहता है और इससे सेहत पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। आजकल बाजार में मिट्टी से तैयार किए गए हर तरह के बर्तन मौजूद है।
गौरतलब है कि अब लोग आयुर्वेद और नेचुरोपैथी की ओर लौट रहे हैं। लोगों में मिट्टी के बर्तनों के इस्तेमाल को लेकर अलग उत्साह नजर आ रहा है। मिट्टी में ऐसे तत्व होते हैं जो सीधे तौर पर शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। मिट्टी के बर्तनों (Clay utensils) में पकाए गए खाने में खास तरह की खुशबू और स्वाद होती है। मिट्टी के बर्तनों में बना हुआ खाना खासतौर पर पेट के लिए फायदेमंद होता है, जोकि गैस और अपच की समस्या में राहत देता है। मिट्टी के बर्तन में दाल 25 मिनट के अंदर धीमी आंच पर पक जाती है। मिट्टी की हांडी में पकी दाल स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। इसी तरह मिट्टी के तवे पर बनी रोटी व मटके का पानी जीवन भर स्वस्थ बनाए रखता है। मिट्टी के बर्तनों में खाना खाने से कुछ हद तक कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि मिट्टी के बर्तन ज्यादा तेल वाले खाने में से तेल को एब्जॉर्ब कर लेते हैं।
मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से खाने में मौजूद पोषक तत्व (Nutrients) नष्ट नहीं होते हैं। इसके अलावा खाने का पीएच वैल्यू मेंटेन रहता है और इससे कई बीमारियों से बचाव होता है। मिट्टी के बर्तन में खाना पकाना काफी आसान होता है। पहली बार मिट्टी के बर्तन को इस्तेमाल करने से पहले करीब 12 घंटे पानी में भिगो कर जरूर रखें। फिर बर्तन को पानी से निकाल कर सुखा लें और फिर खाना बनाने के लिए इस्तेमाल करें। जबकि मिट्टी के छोटे बर्तन जैसे गिलास, कटोरी, कप आदि को कम से कम 6 घंटे के लिए पानी में भिगोने के बाद इस्तेमाल करना चाहिए।
- Advertisement -