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भारत का नाम यूं ही भारत (India) नहीं पड़ा है। इसकी धरा पावन और पवित्र है। यहां जहां पावन स्थल हैं वहीं पर कुछ रहस्य भी हैं जो सोचने पर मजबूर कर देते हैं। देवभूमि उत्तराखंड (Uttarakhand) को तो यह विशेष दर्जा प्राप्त है। यही कारण है कि यहां हर साल देश-विदेशों से भक्त यहां आते हैं। यही नहीं उत्तराखंड की पावन भूमि कुछ ऐसे झरने भी हैं जो आज तक रहस्य लिए हुए हैं। हालांकि, प्राकृतिक झरने पर्यटकों (Tourists) को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। आज हम आपको एक ऐसे पावन झरने के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपना पानी पापियों पर नहीं फेंकता है।
बता दें कि यह अनोखा झरना केवल सात्विक लोगों पर ही अपना पानी फेंकता है। यह झरना चमोली जिले के बद्रीनाथ में है। जब कोई पापी इसे छूता है तो इसका पानी गिरना बंद हो जाता है। यह झरना बद्रीनाथ से करीब आठ किलोमीटर और भारत के आखिरी गांव माणा से पांच किलोमीटर दूर समुद्र तल से 13,500 की ऊंचाई पर स्थित है। इस जल प्रपात को वसुधरा के नाम से भी जाना जाता है। यह झरना करीब 400 फीट की ऊंचाई से गिरता है।
मान्यता है कि इस झरने की बूंद अगर किसी के ऊपर गिर जाए तो वह एक सात्विक व्यक्ति है और उसने पुण्य कमाए हैं। यही कारण है कि भक्त अकसर इस झरने के नीचे आकर जरूर खड़े होते हैं ताकि वे जान सकें कि वे पापी हैं कि पुण्य। माना जाता है कि यह झरना कई प्रकार जड़ी-बूटियों को छू कर गिरता है। इसलिए इसका पानी निरोगी भी माना जाता है।
कहा जाता है कि यहां अष्ट वसु (आप यानी अयज, ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्यूष व प्रभाष) ने कठोर तप किया था। इसलिए इस झरने का नाम वसुधारा पड़ गया। ये झरना इतना ऊंचा है कि पर्वत के मूल से शिखर तक एक नजर में इसे नहीं देखा जा सकता है। वहीं, ग्रंथों में कहा गया है कि पंच पांडव में से सहदेव ने अपने प्राण त्यागे थे।
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